हरियाली की रखवाली के उत्तरदायित्व के प्रति हमें सजग करने का दिन।
हमारे ऋषि, मुनियों और पूर्वजों ने मानव जाति की संस्कृति और प्रकृति को एक दूसरे का पूरक बताया।
सम्पूर्ण विश्व इस जीवन शैलीआज हरेला है।
हरियाली की रखवाली के उत्तरदायित्व के प्रति हमें सजग करने का दिन।
हमारे ऋषि, मुनियों और पूर्वजों ने मानव जाति की संस्कृति और प्रकृति को एक दूसरे का पूरक बताया।
सम्पूर्ण विश्व इस जीवन शैली को भारतीय जीवन शैली के रूप में जानता है।
हमारे दूरदृष्टा पूर्वजों ने एक ऐसे जीवन दर्शन की व्याख्या की जो प्रकृति पूजक था।
वनस्पति पर इस प्रकार आस्था प्रकट की गई है- पत्रे-पत्रे तु देवानां वृक्षराज नमोस्तुते।
पत्ते पत्ते पर देवताओं की उपस्थिति! यह वृक्ष के प्रति श्रद्धा का चरम बिन्दु है।